Corona Update in Lucknow: अलर्ट जारी होने के बाद शहर में कोविड का पहला केस सामने आया, एक महिला होम आईसोलेशन में
लखनऊ में आलमबाग इलाके में एक महिला में कोरोना वॉयरस जांच में मिला है। वह होम आईसोलेशन में हैं। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने नमूना जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए केजीएमयू भेजा गया है।
लखनऊ में आलमबाग इलाके में एक महिला में कोरोना वॉयरस जांच में मिला है। वह होम आईसोलेशन में हैं। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने नमूना जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए केजीएमयू भेजा गया है। अफसरों का कहना है महिला में हल्के लक्षण हैं। उसकी सेहत की निगरानी की जा रही है।
इम्युनिटी में अचानक हुई गिरावट से बढ़े ब्लैक फंगस के मरीज
कोविड के दौरान तमाम मरीजों की इम्युनिटी में अचानक गिरावट हुई। ऐसे मरीजों को ब्लैक फंगस का सामना करना पड़ा। यह खुलासा हुआ केजीएमयू पैथोलॉजी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डा. गीता यादव की शोध में। इस शोध रिपोर्ट को बृहस्पतिवार को केजीएमयू में आयोजित शोध शो केस में बेस्ट पैरा क्लीनिकल अवार्ड दिया गया।
कोविड की दूसरी लहर के बाद तमाम मरीजों में ब्लैक फंगस मिलने लगा। इस पर पैथोलॉजी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डा. गीता यादव ने इसकी वजह तलाशना शुरू किया। इस बीच अलग- अलग तरह के 62 मरीजों के सैंपल लिए गए। इस दौरान देखा गया कि ब्लैक फंगस की बड़ी वजह शरीर में टी- सेल का प्रभाव है। जिन मरीजों की इम्युनिटी में तेजी से गिरावट हुई, उनमें इसका असर ज्यादा था।
इसकी वजह थी कि इम्युनिटी (टी सेल) अचानक सक्रिय हुए और कुछ देर में मृत हो गए। फिर वे ब्लैक फंगस को रोक नहीं पाए। ऐसे मरीजों में ब्लैक फंगस खतरनाक स्थिति में पहुंचा। जिन मरीजों में इम्युनिटी में धीरे-धीरे गिरावट हुई, उनमें इसका असर कम रहा। इम्युनिटी गिरने की वजह ज्यादातर मरीजों में स्टेरायड की अंधाधुंध प्रयोग पाया गया। डा. गीता ने बताया कि सामान्य तौर पर मधुमेह, एचआईवी पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा होता है। लेकिन कोविड वाले मरीजों में एचआईवी वाले मरीजों की अपेक्षा ब्लैक फंगस कम खतरनाक पाया गया।