RSS ने शिक्षा में मातृभाषा को अपनाने का किया समर्थन


शिक्षा में मातृभाषा के उपयोग का समर्थन, राष्ट्रीय एकता पर जोर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संयुक्त महासचिव सी. आर. मुकुंद ने हिंदी भाषा को लेकर चल रहे विवाद के बीच शुक्रवार को कहा कि संघ शिक्षा और दैनिक संचार में मातृभाषा के उपयोग को प्राथमिकता देता है। उन्होंने परिसीमन पर जारी बहस को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया और मणिपुर की स्थिति को सामान्य होने में समय लगने की बात कही।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा
बेंगलुरु में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (ABPS) की तीन दिवसीय बैठक के पहले दिन संघ के वरिष्ठ नेताओं ने मणिपुर की स्थिति और देश में उत्तर-दक्षिण विभाजन की आशंकाओं पर चर्चा की। इस बैठक का उद्घाटन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया, जिसमें संघ से जुड़े 32 संगठनों के प्रमुख शामिल हुए।
मातृभाषा को प्राथमिकता
तीन भाषाओं को लेकर चल रहे विवाद पर मुकुंद ने स्पष्ट किया कि संघ इस पर कोई प्रस्ताव पारित नहीं करेगा, लेकिन शिक्षा और दैनिक जीवन में मातृभाषा के महत्व को प्राथमिकता देता है।
परिसीमन पर प्रतिक्रिया
परिसीमन को लेकर उठ रहे सवालों पर उन्होंने इसे ‘राजनीतिक मुद्दा’ बताया और कहा कि सीटों की संख्या तय करने में संघ की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने राष्ट्रीय एकता को चुनौती देने वाली ताकतों पर चिंता जताई।
राष्ट्रीय एकता पर जोर
संघ का मानना है कि कुछ तत्व उत्तर-दक्षिण विभाजन को बढ़ावा दे रहे हैं, चाहे वह परिसीमन को लेकर हो या भाषाई मतभेदों के कारण। ऐसे मुद्दों पर संगठन विशेष रूप से ध्यान केंद्रित कर रहा है।
मणिपुर की स्थिति और संघ की भूमिका
संघ के अनुसार, मणिपुर पिछले 20 महीनों से कठिन दौर से गुजर रहा है, लेकिन हालात में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। संगठन का मानना है कि वहां पूरी तरह सामान्य स्थिति बनने में अभी समय लगेगा।
RSS का विस्तार
संघ की गतिविधियों में तेजी आई है, और पिछले वर्ष की तुलना में इसकी शाखाओं की संख्या 10,000 से अधिक बढ़कर 83,129 हो गई है। संघ और उसके सहयोगी संगठन विभिन्न राज्यों में सामाजिक समरसता के लिए प्रयासरत हैं।