मनरेगा कर्मचारी ने कहा, जज साहब! मैं भरण पोषण भत्ता नहीं दे पाऊंगा, इसलिए मुझे जेल में डाल दो; बताया चौंकाने वाला कारण

मजदूरी करने वाले युवक ने पत्नी व बच्ची के भरण-पोषण के लिए 3.11 लाख रुपये नहीं दिए। इस पर अदालत ने रिकवरी वारंट जारी कर दिया। पुलिस ने मंगलवार को जब युवक को पकड़ा तो उसने साफ कह दिया कि मजदूरी करता हूं, इतने रुपये नहीं दे पाऊंगा। अदालत में पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया गया।

 

शेरगढ़ क्षेत्र के युवक का निकाह 2015 को देवरनिया क्षेत्र की युवती से हुआ था। उसकी एक बच्ची भी है। विवाहिता ने 29 सितंबर 2017 को दहेज का मुकदमा दर्ज करा दिया। इसमें तीन अप्रैल 2018 को समझौता हो गया। इसके बाद विवाहिता ससुराल लौट आई।

आरोप है कि युवक फिर भी नहीं सुधरा और विवाहिता के साथ मारपीट की। इसके बाद 31 अक्तूबर 2018 को फिर विवाहिता ने पति व ससुराल वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। विवाहिता ने पारिवारिक न्यायालय में भरण-पोषण का वाद दायर किया। पति की तरफ से अदालत में उसका मनरेगा कार्ड लगाया गया।

कहा गया कि वह मजदूरी करता है। न्यायालय ने 12 दिसंबर 2018 से 20 जून 2023 तक प्रतिमाह 5500 रुपये भरण पोषण भत्ते के रूप में विवाहिता को देने के आदेश दिए। पति ने एक बार भी रुपये नहीं दिए। 2023 में अदालत ने सात हजार रुपये प्रतिमाह भरण पोषण भत्ता कर दिया, लेकिन पति ने नहीं दिया।

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