लखनऊ न्यूज़: कुकरैल के आसपास का भूजल पीने लायक नहीं है

 

लखनऊ। प्रदूषण के चलते कुकरैल के आसपास के इलाके का भूजल पीने योग्य नहीं रह गया है। यहां कुछ स्थानों पर पानी में नाइट्रेट, मैग्नीशियम की अधिकता मिली है। क्षेत्र में टर्बिडिटी (मटमैले पानी) की अधिकता से भी जल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। यहां के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विवि में हुए शोध में यह निष्कर्ष सामने आया है।

 

भाषा विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण कुमार राय तथा उनके शोध छात्र नजमू शाकिब ने लखनऊ के भूजल की गुणवत्ता पर शोध किया है। यह शोध पत्र स्विट्जरलैंड के प्रतिष्ठित जर्नल वाटर में प्रकाशित हुआ, जिसका इम्पैक्ट फैक्टर 3.4 है। शोध में लखनऊ के 40 स्थानों से पानी के नमूने लेकर उनकी प्रयोगशाला में जांच कराई गई। यहां से सामने आए आंकड़ों के आधार पर सांख्यिकी तकनीक से जल गुणवत्ता सूचकांक बनाया गया। साथ ही भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग करते हुए मानचित्र बनाए गए। अध्ययन के अनुसार शहरीकरण के कारण भूमि उपयोग बदलने से भूजल की गुणवत्ता प्रभावित होती है और ज्यादा उर्वरकों के इस्तेमाल से भूजल में नाइट्रेट की मात्रा बढ़ती है।

शोध में सामने आया कि लखनऊ के ज्यादातर स्थानों जैसे आलमबाग, लालबाग, डालीगंज, चिनहट जैसे क्षेत्रों की जल की गुणवत्ता उच्च है। यहां का पानी पीने योग्य है। गुणवत्ता बनाए रखने के लिए भूजल की नियमित जांच, उपचारों करने, प्राधिकारियों से सहयोग व भूजल की गुणवत्ता के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने की सिफारिश की गई है।

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