समाचार यूपी | यूपी में स्मार्ट मीटर लगाने का प्रोजेक्ट पिछड़ा, पावर कॉरपोरेशन नहीं ले रहा फैसला

 

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राजेश मिश्र

लखनऊ : यूपी सरकार के तमाम दावों के बाद भी उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था को पटरी पर लाने में अहम स्मार्ट मीटर लगाने का काम पिछड़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएस) लगभग एक साल बीतने के बाद भी अब तक प्रदेश की विभिन्न बिजली कंपनियों के क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर लगाने के काम को अंतिम रुप नहीं दे पाया है। पावर कारपोरेशन की इस लेट लतीफी के चलते उत्तर प्रदेश को केंद्र की महत्वाकांक्षी रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम(आरडीएसएस) के तहत मिलने वाला धन फंस सकता है। उत्तर प्रदेश में सभी विद्युत वितरण निगमों में प्रीपेड स्मार्टमीटर लगाने के लिए बीते साल नवंबर में ही टेंडर प्रक्रिया शुरु हुई थी।

कई परेशानियों के बाद सबसे पहले पश्चिमांचल विद्य़ुत वितरण निगम में इंटेली स्मार्ट को इसी साल अप्रैल के महीने में 67 लाख प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का टेंडर मिला. इसके बाद पूर्वांचल व दक्षिणांचल में भी टेंडर प्रक्रिया बीते ही महीने पूरी की गयी है जहां जीएमआर के पक्ष में 76 लाख स्मार्टमीटर लगाने का टेंडर खुला है।

मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के लिए अभी टेंडर प्रक्रिया पूरा किया जाना बाकी है। मध्यांचल में जहां 79 लाख स्मार्ट मीटर लगने हैं। वहां एक बार टेंडर रद्द किए जा चुके हैं. बाद में यहां पूरे क्षेत्र को तीन भागों में बांट कर टेंडर निकाले गए पर अभी तक प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है। हैरत की बात है कि अभी तक पश्चिमांचल में जहा टेंडर प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है पावर कारपोरेशन ने जरुरी औपचारिकताएं पूरी नहीं की है। इस हीला-हवाली के चलते अभी तक पश्चिमांचल में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरु नहीं हो सका है।

गौरतलब है कि इस योजना के तहत यूपी में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगने है। इसी साल मार्च में योगी सरकार ने दावा किया था कि आरडीएसएस के चलते जल्द ही पूरे प्रदेश को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति संभव हो सकेगी और राजस्व बढ़ेगा। विधानसभा के मानसून सत्र में बीते सप्ताह बिजली से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि प्रदेश में 11.97 लाख स्मार्ट मीटर लग चुके हैं। हालांकि ऊर्जा मंत्री का 11.97 लाख स्मार्ट मीटर का दावा भी पुरानी योजना की ही कहानी कहता है जो अब पूरी होने के पास है।

बिजली वितरण कंपनियों की वित्तीय व परिचालन क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से बीते साल केंद्र सरकार की ओर से लायी गयी आरडीएसएस के तहत इंसेटिव लिंक्ड स्मार्ट मीटरिंग कार्यक्रम का तो उत्तर प्रदेश में शुभारंभ तक नहीं हो सका है।

जानकारों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने हाल ही में खुद विधानसभा में माना है कि 42 लाख उपभोक्ताओं ने अपना पहला बिजली का बिल ही नहीं भरा है जबकि 33 लाख लोग इस्तेमाल तो करते हैं पर कोई भुगतान नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि हैरत की बात है राजस्व वसूली के मोर्चे पर फिसड्डी रहने के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार प्रीपेड स्मार्ट मीटर को लेकर गंभीर नहीं है। टेंडर प्रक्रिया शुरु होने के दस महीनों के बाद भी अब तक स्मार्ट मीटर लगने नहीं शुरु हुए हैं। उनका कहना है कि अप्रैल में टेंडर फाइनल होने के बाद भी पावर कारपोरेशन चार महीने में जरुरी औपचारिकताएं पूरी नहीं सकी है जो दुर्भाग्य की बात है।

 

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