बड़ागांव-ब्लॉक के प्राइमरी स्कूलों में अब अक्षयपात्रा का मिड-डे मील: 637 विद्यालयों में 79424 विद्यार्थी खा रहे हैं पौष्टिक भोजन, गर्म भोजन स्कूल तक पहुंचता है

प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट अक्षयपात्रा किचन की शुरुआत वाराणसी में 2022 में हुई थी। तब से वाराणसी और आस-पास के क्षेत्रों में मिड-डे मील गुणवत्ता पूर्वक अक्षयपात्रा पहुंचा रहा है। ऐसे में नए सत्र में अब वाराणसी के बड़ागांव ब्लॉक के प्राइमरी स्कूलों

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इसके पहले वाराणसी के दो ब्लॉक और नगर क्षेत्र के तीन जोन तक अक्षयपात्रा के बिग किचन से पौष्टिक आहार पहुंचाया जा रहा था। बता दें कि ‘द अक्षयपात्रा फाउंडेशन’ के किचन में 1 घंटे में 80,000 रोटी और 1200 लीटर दाल कूकर में पकाये जाने की क्षमता है। केन्द्रीयकृत रसोई में, सब्ज़ी धुलने-छीलने व काटने की मशीन भी है।

सेवापुरी, हरहुआ के बाद अब बड़ागांव के स्कूलों में अक्षयपात्रा का मिड डे मिल

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द अक्षयपात्रा फाउंडेशन के एलटी कालेज परिसर में बने किचन का उद्घाटन साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस किचन में 4 घंटे में दो ब्लॉक और तीन नगर जोन के बच्चों का मिड डे मिल तैयार होता था। बीएसए डॉ अरविन्द पाठक ने बताया- नए शैक्षणिक सत्र से बड़ागांव ब्लॉक के भी स्कूलों को मिड डे मील अक्षयपात्रा के किचन से उपलब्ध कराया जा रहा है। जहां से महज 4 घंटे में मिड डे मील का खाना पका के विद्यार्थियों के थाली तक पहुंचा रहा है।

प्रधानमंत्री ने साल 2022 में वृहद् अक्षयपात्रा किचन का किया था वाराणसी में उद्घाटन।

अब 637 विद्यालयों के 79,424 बच्चों को मिल रहा फायदा
बेसिक शिक्षा अधिकारी अरविन्द पाठक ने बताया – जुलाई 2022 में 167 परिषदीय स्कूल के 25,656 बच्चों से शुरू हुई इस योजना के जरिए आज 637 विद्यालयों के 79,424 बच्चों के थाली तक मिड डे मील का भोजन पहुंचा रही है। इसी क्रम में 2023 में हरहुआ ब्लॉक और 2024 का शैक्षिण सत्र शुरू होने के साथ में बड़ागांव ब्लॉक में भी इसकी शुरआत हो गई है। नगर क्षेत्र के दशाश्वमेध जोन, वरुणापुर जोन तथा रामनगर जोन के प्राइमरी स्कूल के बच्चों को भी अक्षय फॉउंडेशन 2023 से मिड डे मील उपलब्ध करा रही है।

एक घंटे में तैयार होती है 80 हजार रोटियां।

30 करोड़ की लागत से तैयार किया गया आधुनिक किचन
‘द अक्षय पात्र फाउंडेशन’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भरतर्षभा दास ने बताया कि लगभग 30 करोड़ की लागत से आधुनिक किचन तैयार किया गया था। रसोई घर में पूरी तरह से ऑटोमैटिक उपकरणों से खाना बनाया जाता है। यहां 1 घंटे में 80,000 रोटी और 1200 लीटर दाल कूकर में पकाये जाने की क्षमता है। सब्ज़ी के धुलने, छीलने और काटने का काम भी मशीन से ही होता है। उन्होंने बताया कि खाने की गुणवत्ता के साथ-साथ स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।

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