नया एओसी-इन-सी प्रयागराज में मध्य वायु कमान को मिले : एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने पदभार संभाला, ऑपरेशन सफेद सागर में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका News from Prayagraj (Allahabad)

विभिन्न वायुयानों को 3300 घंटों से भी अधिक समय तक उड़ाने का अनुभव है।
प्रयागराज स्थित मध्य वायु कमान के नए एओसी-इन-सी के रूप में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने पदभार ग्रहण कर लिया है। अति विशिष्ट सेवा मेडल, वायु सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल हासिल कर चुके आशुतोष दीक्षित मध्य वायु कमान के वायु अफसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप म
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एयर मार्शल ने 6 दिसंबर 1986 को भारतीय वायु सेना की लड़ाकू शाखा में कमीशन प्राप्त किया। यह एक प्रायोगिक परीक्षण पायलट तथा अर्हता प्राप्त उड़ान अनुदेशक हैं जिन्हें भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल फाइटर प्लेन को 3300 घंटों से भी अधिक समय तक उड़ाने का अनुभव प्राप्त है।
दक्षिणी वायु कमान के वायु रक्षा कमांडर भी रह चुके हैं आशुतोष दीक्षित।
ऑपरेशन सफेद सागर व ऑपरेशन रक्षक में अहम भूमिका
आशुतोष दीक्षित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (बांग्लादेश) तथा राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के पुरा छात्र रह चुके हैं। इन्होंने ऑपरेशन सफेद सागर तथा ऑपरेशन रक्षक जैसे कई ऑपरेशन एवं अभ्यासों में सक्रिय भूमिका निभायी है।
अपने 37 वर्ष लंबे शानदार कॅरियर के दौरान, एयर मार्शल विभिन्न फील्ड एवं स्टाफ पदों पर रह चुके हैं। कमांडिंग अफसर के रूप में इन्होंने उन्नत दर्जे के मिराज वायुयानों के साथ भारतीय वायु सेना की एक स्क्वॉड्रन को पुनर्सज्जित किया और आगे चलकर इन्होंने पश्चिमी क्षेत्र में स्थित फ्रंट लाइन फाइटर एयर बेस एवं दक्षिणी क्षेत्र में स्थित प्रीमियर फाइटर ट्रेनिंग बेस की कमान संभाली।
इन्होंने वायु सेना टेस्ट पायलट स्कूल में निदेशक स्टाफ के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की। ये वायु सेना मुख्यालय में प्रधान निदेशक वायु स्टाफ रिक्वायरमेंट के पद पर भी रह चुके हैं। इन्होंने वायु सेना मुख्यालय में सहायक वायु सेनाध्यक्ष (परियोजना) एवं सहायक वायु सेनाध्यक्ष (योजना) के पद को भी संभाल चुके हैं।
3300 घंटों से भी अधिक समय तक उड़ाने का अनुभव है।
उप वायु सेनाध्यक्ष के पद पर थे नियुक्त
मध्य वायु कमान के वायु अफसर कमांडिंग-इन-चीफ का पदभार ग्रहण करने से पूर्व ये उप वायु सेनाध्यक्ष के पद पर नियुक्त थे। अपने पिछले कार्यकाल में इन्होंने भावी प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए विभिन्न अग्रणी परियोजनाओं का नेतृत्व किया। यह भी सुनिश्चित किया कि भारतीय वायु सेना आत्मनिर्भरता को आत्मसात करते हुए आधुनिकीकरण के मार्ग पर प्रशस्त रहे।
सभी परिस्थितियों में मध्य वायु कमान की ऑपरेशनल तत्परता वायु अफसर कमांडिंग-इन-चीफ का सर्वोच्च एजेंडा रहेगा ताकि भारतीय वायु सेना अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल कर सके।