उत्तर प्रदेश | केशव प्रसाद मौर्य के मुताबिक ग्राम रोजगार सेवकों को समसामयिक तरीकों से प्रशिक्षण मिलेगा.

 

मॉर्डर्न टेक्निक की ट्रेनिंग से ग्राम रोजगार सेवकों को किया जाएगा अपडेट, केशव प्रसाद मौर्य का दावा

लखनऊ: गांवों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के कार्यों को कुशलता से संचालित व क्रियान्वित कराने के उद्देश्य से  गांवों में तैनात ग्राम रोजगार सेवकों को और अधिक सक्षम व दक्ष बनाने के लिए उत्तर प्रदेश में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व, निर्देशन व प्रबन्धन में ग्राम रोजगार सेवकों के प्रशिक्षण की तैयारी की जा रही है।

इस हेतु भारत सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार मसौदा तैयार किया गया है। सरकार द्वारा मनरेगा योजना के कार्यों के सुचारू संचालन हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर रखे गये ग्राम रोजगार सेवकों को कार्यों में दक्षता बढ़ाने हेतु प्रशिक्षित किये जाने के निर्णय को मूर्तरूप देने के सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे प्रदेश के ग्रामों के विकास को गति मिलेगी तथा ग्राम रोजगार सेवकों को अपने कैरियर को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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ग्राम्य विकास आयुक्त जी एस प्रियदर्शी ने बताया कि ग्राम रोजगार सेवकों को दक्ष बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान, हैदराबाद एक प्रशिक्षण प्लेटफार्म विकसित कर रहा है। प्रशिक्षण प्लेटफार्म विकसित होने के बाद इसका लिंक  शेयर किया जायेगा। जिसके उपरान्त ग्राम रोजगार सेवकों का माह अक्टूबर, 2023 से पंजीकरण शुरू होगा। पंजीकरण के पश्चात ग्राम रोजगार सेवकों को प्रशिक्षण प्लेटफार्म को लागिन करने के बाद वीडियो एवं पठन सामग्री उपलब्ध होगी।

ग्राम रोजगार सेवकों द्वारा आनलाइन उपलब्ध पठन सामग्री के अध्ययन के उपरान्त 02 माह के भीतर आनलाइन टेस्ट देना होगा। इस टेस्ट को पास करने हेतु 02 माह के अन्दर 04 अवसर दिये जायेंगें। टेस्ट पास करने वाले ग्राम रोजगार सेवकों को राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान, हैदराबाद, ग्रेड के अनुसार प्रमाणित करेगा। जिसका भौतिक मूल्यांकन जनपद स्तर पर माह जनवरी, 2024 से किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा)  सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना है। योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण आजीविका के प्राकृतिक संसाधनों को सुदृढ़ और टिकाऊ परिसम्पत्तियों का सृजन करना एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे प्रत्येक परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारन्टीयुक्त रोजगार उपलब्ध कराना है, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए इच्छुक हों।

 

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