वाराणसी में जुलाई में बादलों की कमी रही: इस महीने में 239 मिमी बारिश हुई, जो औसत से 25% कम है, जबकि 30 साल का औसत 300 मिमी है।

वाराणसी में मानसून की बेरुखी और बादलों की नाराजगी ने 30 साल का रिकार्ड तोड़ दिया। धर्म की नगरी से बादल इस कदर रूठे कि झूमकर बरसने की महीने जुलाई यानि सावन में भी महज बूदाबांदी कर रहे हैं।
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एक जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक हर दिन अलर्ट तो दिखा लेकिन बरसात नहीं हुई। हर दिन बादल उमड़ रहे हैं, लेकिन बरस नहीं रहे। बादलों की वजह से उमस पसीना छुड़ा रही है। ऐसा पहली बार है कि भादों के महीने में प्रचंड गर्मी, तपिश और उमस लोगों को झेलनी पड़ रही है।
स्थिति यह है कि शहर के बाहर जमकर वर्षा होती रही तो घाट से लेकर मुख्य इलाका सूखा रह जाता है। बादलों की यह बेरुखी शहरवासियाें को चक्कर में डाल रही है, हालात ऐस कि पूरी जुलाई औसत से कम बरसात हुई।
25 फीसदी कम बारिश, औसत भी गिरा
वाराणसी में जुलाई में महीना में सामान्य से 25 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। काशी को वर्ष भर में 600 मिलीमीटर (एमएम) वर्षा को औसत माना जाता है। इस वर्ष वह औसत पर पहुंचना मुश्किल दिख रहा है।
जुलाई में तीस साल से औसतन 300 मिमी से अधिक बारिश हुई लेकिन इस साल 2024 में महज 239 मिमी ही बरसात से संतोष करना पड़ा। वहीं सही मायने में यह बारिश भी शहर में ना होकर जिले के अन्य इलाकों में हुई। बादल घिरे भी मानसून की दस्तक हुई, लेकिन बारिश ज्यादा नहीं हो रही है। मानसून में सबसे ज्यादा बारिश जुलाई माह में होती है, लेकिन जुलाई माह बीत गया, लेकिन बनारस में 25 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है।
मानसून की लेटलतीफी ने घटाई बारिश
मानसून का सीजन जून से सितंबर तक माना जाता है और इन चार महीनों में वाराणसी में औसत 910 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए। पूर्वांचल में मानसून के आने का समय 20 जून था जो इस बार जुलाई तक पहुंच गया। शुरुआत में चंद दिन बारिश हुई, लेकिन इसके बाद मानसून मानो मौन सा हो गया।
सावन में उमस भरी गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद कम है, हालांकि मौसम वैज्ञानिक अगस्त के पहले सप्ताह में झमाझम बारिश के आसार जता रहे हैं। उनकी माने तो इसका कारण मानसून की समय से एंट्री नहीं होना भी है वहीं शहर में मानसून की बारिश भी उस तरह नहीं हुई।
क्या कहते हैं मौसम विज्ञानी
मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर पीके सिंह ने बताया कि वाराणसी में जुलाई महीने में अब तक कुल 239 mm बारिश हुई है। नॉर्मल से 25% कम बारिश हुई है। 30 साल के आंकड़ों को मिलाकर नॉर्मल बारिश करीब 300 mm तक होनी चाहिए थी।
वायुमंडलीय गर्मी, सतह की गर्मी का अंतर, हवा द्वारा सतह पर होने वाले घर्षण, आर्द्रता, हरियाली, जलाशयों की मौजूदगी और प्रदूषण के स्तर की वजह से यह स्थिति बन रही है। इस सप्ताह अच्छी वर्षा हो सकती है। पूर्वानुमान है कि गुरुवार और शुक्रवार को काले घने बादल छाए रहेंगे। हल्की वर्षा हो सकती है।
2017 पहले हुए थे सूखे जैसे हालात
सात वर्ष पूर्व वर्ष 2017 में ही सूखा जैसे हालात हुए थे तब जुलाई महीने में सबसे कम 140.4 मिमी वर्षा हुई थी। जुलाई में जहां सामान्य वर्षा का औसत 309.9 मिमी है, वहीं इस बार महज 194.2 मिमी वर्षा हुई। यह आंकड़ा भी बीते पांच वर्षों में सबसे कम है, हालांकि 2023 में यह 350 मिमी से अधिक थी। 2023 में अगस्त में मात्र 177.6 मिमी ही वर्षा हुई जबकि अगस्त में सामान्य वर्षा का औसत 273.2 मिमी है।
1. वाराणसी में विगत वर्षों में बारिश
वर्ष बारिश
2017 – 550 mm 2018 – 236 mm 2019 – 326 mm 2020 – 193.2 mm 2021 – 266 mm 2022 – 200 mm 2023 – 350 mm
2. पांच दिनों में बनारस में बरसे बदरा 31 जुलाई – 28.9 mm 30 जुलाई – 2 mm 29 जुलाई – 3.8 mm 28 जुलाई – 8.4 mm 27 जुलाई – 0 mm